The largest idol of Lord Vishnu in North India has been spotted at Samas village in Sheikhpura district of Bihar. The Bihar State Board of Religious Trusts has urged the state government to construct a temple in Tirupati model. The idol is made of black granite and measures 7.5 feet in length and 3.5 feet in width. It belongs to the Pal period. Its four arms carry a "sankh (conch)", a "chakra (discus)", a "gada (club)" and a "padma (lotus)".
Monday, December 5, 2011
श्री विष्णुधाम, शेखपुरा, बिहार
विष्णुधाम, सामस, शेखपुराबिहार के शेखपुरा जिले में बरबीघा-नवादा रोड पर बरबीघा से 5 किमी दक्षिण की ओर बिहार शरीफ से 25 किमी दूर सामस गांव स्थित विष्णुधाम मंदिर प्रसिद्व धार्मिक स्थल है। मंदिर में भगवान विष्णु की 7.5 फीट ऊंची व 3.5 फीट भव्य मूर्ति स्थापित है। विष्णु भगवान की यह मूर्ति स्वरूप में है और चार हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पद्मम स्थित है।
मूर्ति की वेदी पर प्राचीन देवनागरी में अभिलेख 'ऊं उत्कीर्ण सूत्रधारसितदेव:' उत्कीर्ण है। इस लिपि में आकार, इकार और ईकार की मात्रा विकसित हो गई है। ब्राह्मी लिपि में छोटी खड़ी लकीर के स्थान पर यह पूरी लकीर बन गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार की लिपि उत्तर भारत में नौवीं सदी के बाद मिलती है। प्रतिहार राजा महेंद्रपाल (891-907 ई.) के दिघवा-दुली दानपात्र में इस शैली की लिपि का प्रयोग पुराने समय में किया जाता था। इस अभिलेख में मूर्तिकार 'सितदेव' का नाम भी लिखा हुआ है।
विष्णुमूर्ति के दांए व बांए दो और छोटी मूर्तियां हैं। यह स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है कि ये मूर्तियां शिव-पार्वती की हैं या शेषनाग और उनकी पत्नी हैं। यह दुर्लभ मूर्ति जुलाई 1992 में तालाब में खुदाई के दौरान मिली थी। सामस गांव व उसके पास गांवों में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियां मिलीं। इनमें से कई सामस गांव के जगदंबा मंदिर में ही रखी गई हैं।
Sunday, December 4, 2011
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ऐतिहासिक महत्व
बौद्ध व जैन समुदाय के बीच शेखपुरा का काफी महत्व रहा है। हाल ही में इसकी पहचान हिंदु धार्मिक स्थल के रूप में भी हुई है। 14 अप्रैल 1983 को शेखपुरा प्रखंड से अनुमंडल तथा 31 जुलाई 1994 को जिला बना। पहले शेखपुरा शहर 'शेखपुर' नाम से जाना जाता था।
हिंदुत्व के अलावा इस क्षेत्र का बौद्धकालीन महत्व भी है। शेखपुरा का बुधौली मुहल्ला स्थित पर्वत भगवान बुद्ध की स्मृति से जुड़ा हुआ है। भगवान बुद्ध ने इस स्थान पर उपदेश दिए थे। इसी कारण इस स्थान का नाम बुधौली पड़ गया। यह स्थान हमेशा से महान संतों की पावन भूमि रहा है। यह सूफी संत हजरत शोएब रहमतुल्लाह अलैह की कर्मभूमि रही है। यहां का फरीदपुर गांव प्रसिद्ध है। यहां शेरशाह ने युवावस्था में शेर का शिकार करने के बाद शेर खां की उपाधि पाई थी।
राजधानी पटना के निकट, दक्षिण बिहार के मुंगेर कमिश्नरी का शेखपुरा जिला के उत्तर-पश्चिम में नालंदा, दक्षिण में नवादा व जमुई और पूरब में लखीमपुर जिला स्थित है।
'धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे' का अमिय उदघोष हमारी संस्कृति के अन्यतम ग्रंथ गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने किया है। प्रत्येक युग में धारा पर भगवान प्रत्यक्षत: तो अवतरित नहीं होते किसी न किसी रूप में यह हमें अपने अस्तित्व का आभास करा ही देते हैं।
शेखपुरा जिला में बरबीघा प्रखंड के सामस ग्राम में श्री विष्णुधाम मंदिर में अवस्थित मूर्ति हमारी इसी सांस्कृतिक चेतना का मूर्त रूप है। चाहे हम इसे धार्मिक दृष्टि से देखें या सांस्कृतिक या फिर ऐतिहासिक दृष्टि से, इसका सार्वभौमिक महत्व स्वत: ही स्पष्ट हो जाता है। यों तो यह संपूर्ण क्षेत्र प्राचीनकाल से ही सांस्कृतिक धरोहरों का केंद्र रहा है तथापि वर्तमान में भी विष्णुधान संपूर्ण राष्ट्र के समक्ष वैष्णव आस्था के एक सशक्त एवं समादृत तीर्थ स्थल के रूप में सर्वमान्यता प्राप्त कर रहा है। ग्राम सामस के विशाल जलाशय में यह प्राचीन मूर्ति मिट्टी के नीचे शताब्दियों से दबी थी। सिर्फ इसका आभामंडल ही दिखाई पड़ता था। इनकी पूजा ग्राम देवता के रूप में 'सिलबाबा' के नाम से होती थी। 5 जुलाई 1992 को आषाढ़, शुक्ल पंचमी रविवार को कुछ लोगों ने श्री विष्णु के इस विराट श्री विग्रह को मिट्टी से बाहर निकाल लिया। हमारी धर्मप्राण सामाजिक संरचना के कारण सहज रूप से दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस मौके पर गढ़ पर तीन महीने तक बहुत बड़ा मेला लगा। ग्रामीणों के सहयोग से इस मूर्ति को स्थापित कर दिया गया और विधिवत पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई इसी के साथ मंदिर निर्माण की प्रक्रिया भी आरंभ हो गई। तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने भी वहां पहुंच कर निरीक्षण किया।
कैसे पहुंचे
विष्णुधाम मंदिर- सामस गांव में 15 बीघा बड़े तालाब में बीचोंबीच स्थित है। प्राकृतिक दृष्टि से यह रमणीय स्थान है। इस मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
यहां पहुंचने के लिए कई विकल्प हैं:
सड़कमार्ग - पटना से 100 किमी दूर
रेलमार्ग - निकटतम रेलवे स्टेशन – शेखपुरा, बिहार शरीफ
वायुमार्ग निकटतम हवाई अड्डा - पटना, गया
अन्य धार्मिक स्थल
शिव पार्वती मंदिर : सौ वर्ष पुराना शिव-पार्वती मंदिर पांच सौ फीट उंचे गिरिहिंडा पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है। प्रतिवर्ष यहां शिवरात्रि व भादो की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां जलाभिषेक के लिए भी बड़ी संख्या में भक्तजन प्रतिदिन आते हैं। इस पहाड़ पर भक्तों के ठहरने के लिए धर्मशाला भी है।
अरघौती मंदिर : अरघौती पोखर में स्थित अरघौती मंदिर में देवी की प्रतिमाएं स्थामित हैं। यहां लोग दर्शन के अलावा नौका विहार एवं झूला-झूलने के लिए भी उत्साह से आते हैं।
विष्णुधाम, शेखपुरा, बिहार
विष्णुधाम, सामस, शेखपुरा
बिहार के शेखपुरा जिले में बरबीघा-नवादा रोड पर बरबीघा से 5 किमी दक्षिण की ओर बिहार शरीफ से 25 किमी दूर सामस गांव स्थित विष्णुधाम मंदिर प्रसिद्व धार्मिक स्थल है। मंदिर में भगवान विष्णु की 7.5 फीट ऊंची व 3.5 फीट भव्य मूर्ति स्थापित है। विष्णु भगवान की यह मूर्ति स्वरूप में है और चार हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पद्मम स्थित है।
मूर्ति की वेदी पर प्राचीन देवनागरी में अभिलेख 'ऊं उत्कीर्ण सूत्रधारसितदेव:' उत्कीर्ण है। इस लिपि में आकार, इकार और ईकार की मात्रा विकसित हो गई है। ब्राह्मी लिपि में छोटी खड़ी लकीर के स्थान पर यह पूरी लकीर बन गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार की लिपि उत्तर भारत में नौवीं सदी के बाद मिलती है। प्रतिहार राजा महेंद्रपाल (891-907 ई.) के दिघवा-दुली दानपात्र में इस शैली की लिपि का प्रयोग पुराने समय में किया जाता था। इस अभिलेख में मूर्तिकार 'सितदेव' का नाम भी लिखा हुआ है।
विष्णुमूर्ति के दांए व बांए दो और छोटी मूर्तियां हैं। यह स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है कि ये मूर्तियां शिव-पार्वती की हैं या शेषनाग और उनकी पत्नी हैं। यह दुर्लभ मूर्ति जुलाई 1992 में तालाब में खुदाई के दौरान मिली थी। सामस गांव व उसके पास गांवों में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियां मिलीं। इनमें से कई सामस गांव के जगदंबा मंदिर में ही रखी गई हैं।
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